आचार्य रजनीश ने धर्म और दर्शन से जुड़े ऐसे कई उपदेश दिए जो कि जीवन की वास्तविक हकीकत को दर्शाते हैं. ओशो ने चीजों को चरम सीमा पर जाकर समझा और ऐसे ही उपदेश भी दिए. वो जीवन और आनंद के भोग की बातें करने वाले गुरु थे. कई लोग ओशो के सिद्धांतों को मानते हैं और कई उनका विरोध भी करते हैं. ओशो ने प्रेम के ऊपर भी काफी कुछ कहा. आज के समय में जब लोग प्यार की तलाश में लंबी उम्र गुजार देते हैं और इसके बाद भी उन्हें उनका वास्तविक प्रेम नहीं मिल पाता है. ऐसे में ओशो की ये कहानी आपके अन्दर छिपे प्रेम के खजाने को हासिल करने में आपकी मदद कर सकती है. आइए हिंदी साहित्य दर्पण के हवाले से पढ़ते हैं कि ओशो ने प्रेम की तलाश का क्या मार्ग बताया है....
ओशो ने कहा-
एक राजधानी में भिखारी एक सड़क के किनारे बैठकर बीस-पच्चीस वर्षों तक भीख मांगता रहा. फिर मौत आ गयी और मर गया. जीवन भर यही कामना की कि मैं भी सम्राट हो जाऊं. कौन भिखारी ऐसा है, जो सम्राट होने की कामना नहीं करता? जीवन भर हाथ फैलाये खड़ा रहा रास्तों पर.
लेकिन हाथ फैलाकर, एक-एक पैसा मांगकर कभी कोई सम्राट हुआ है? मांगने वाला कभी सम्राट हुआ है? मांगने की आदत जितनी बढ़ती है, आदमी उतना ही बड़ा भिखारी हो जाता है. सम्राट कैसे हो जायेगा? जो पच्चीस वर्ष पहले छोटा भिखारी था, पच्चीस वर्ष बाद पूरे नगर में प्रसिद्ध भिखारी हो गया था, लेकिन सम्राट नहीं हुआ था. फिर मौत आ गयी. मौत कोई फिक्र नहीं करती. सम्राटों को भी आ जाती है, भिखारियों को भी आ जाती है. सच्चाई शायद यही है कि सम्राट थोड़े बड़े भिखारी होते हैं, भिखारी जरा छोटे सम्राट होते हैं. क्या फर्क होता होगा!