13 अप्रैल तक रहेगा खरमास, ग्रंथों के अनुसार नशे से दूर रहना चाहिए इस दौरान

14 मार्च को सूर्य के मीन राशि में आने से खरमास शुरू हो गया है। जो कि 13 अप्रैल तक रहेगा। इसलिए अगले महीने की 13 तारीख तक मीन संक्रांति जनित खरमास दोष रहेगा। इस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। सूर्य के राशि बदलने से साल में 2 बार खरमास आता है। लगभग एक महीने के  इस समय में भगवान की आराधना करने का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों में खर मास से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका ध्यान रखना चाहिए।


क्या होता है खरमास
सूर्य जब बृहस्पति की राशियों यानी धनु और मीन में प्रवेश कर जाता है तो खरमास शुरू हो जाता है। ज्योतिष ग्रंथों में इसे गुरुवादित्य काल भी कहा गया है। ये स्थिति साल में 2 बार यानी दिसंबर-जनवरी और मार्च-अप्रैल में बनती है। इस दौरान हर तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।  दिसंबर-जनवरी के दौरान सूर्य के धनु राशि में आने से इसे धनुर्मास भी कहा जाता है। वहीं  मार्च-अप्रैल में मीन राशि में सूर्य के आने से इसे मीनमास भी कहा जाता है।  


क्या करना चाहिए


धर्मग्रंथों के अनुसार, इस माह में सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान, संध्या आदि करके भगवान का स्मरण करना चाहिए। खरमास के नियम पूरे करने चाहिए। इससे भगवान की कृपा बनी रहती है। इस दौरान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। इनके साथ ही भगवान विष्णु की आराधना भी करनी चाहिए। खरमास के दौरान दान और मंत्र जप करने का महत्व है। इस माह में देवता, वेद, ब्राह्मण, गुरु, गाय, साधु-सन्यांसियों की पूजा और सेवा करनी चाहिए।


खरमास में क्या नहीं करें 


1. खरमास के दौरान गृह प्रवेश और 16 संस्कार सहीत अन्य मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इस दौरान 16 में से कुछ आवश्यक संस्कार किए जा सकते हैं।


2. मांस, शहद, चावल का मांड, चौलाई, उड़द, प्याज, लहसुन, नागरमोथा, गाजर, मूली, राई, नशे की चीजें, दाल, तिल का तेल और दूषित अन्न खाने से बचना चाहिए। 


3. खरमास में जमीन पर सोना चाहिए, पत्तल पर भोजन करना, शाम को एक वक्त खाना, रजस्वला स्त्री से दूर रहना और धर्मभ्रष्ट संस्कारहीन लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए। 


4. किसी का विरोध करने से बचना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। निंदा और झूठ से बचना चाहिए।